कुछ भी लिखने से पूर्व सबसे पहले मै एक बात स्पष्ट कर देना चाहूँगा की अपने अनुभव और संस्मरण मै किसी धर्म या जाति विशेष के लिए नहीं लिख रहा। बल्कि अपने को जिस स्थान पर होना महसूस कर रहा हूँ, वैसे ही स्थान पर और भी तमाम लोग होंगे, उनसे अपने विचारों का आदान प्रदान करना है। उस स्थान पर पहुँच कर मैंने जो अनुभव प्रपट किए, उन्ही अनुभवों/ अनुभावों को शब्दों के रूप में व्यक्त करने का एक प्रयास मात्र है। यह जानते हुए भी कि भावों को शब्दों मे व्यक्त करना अत्यंत कठिन है, फिर भी तुम कुछ समझ सको, उसके लिए एक प्रयास है।?
प्रेम की भाषा एक ऐसी भाषा है जिसमे शब्द नहीं होते और न ही उनकी कोई आवश्यकता होती है। प्रेम वह भाषा है, जिसे प्राकृति का हर जीव समझता है। घरों मे पालतू जीव जैसे कुत्ता, बिल्ली, चूहा, गाय, भैंस, बैल, घोड़ा, तोता यहाँ तक कि पेड़ पोधे भी प्रेम कि भाषा को समझते हैं। उन्हें घर मे रखते हैं, तो उसके अन्दर नही प्रेम की भावनाएं पैदा हो जाती हैं, और वह अपने मालिक के लिए अपनी जान भी न्यौछावर करने को तैयार हो जाता है। यही प्रेम उसे अगले किसी जन्म मे मनुष्य योनि दिलाता है, अर्थात प्रेम जानवर को भी इन्सान बना देता है। प्रेम वह सूत्र है, जिससे विश्व के समस्त जीव जूड़े हैं। ईश्वरीय इच्छा ही अभिव्यक्ति की प्राकृति है, और प्राकृति ही प्रेम है।
सामान्य बुद्धि से भी हमें यह शिखा मिलनी चाहिए। अपने सम्बन्धों मे व्यापक होने कि शिक्षा। अपने आपको सीमित मत करो। केवल कुछ व्यक्तियों से ही चिपके मत रहो। किसी के लिए भी वर्षों शोक मनाते रहना मूर्खता है। यह मिलना और बिछुड़ना सब भ्रांति है। मै और मेरे की यह व्यक्तिगत भावना समाप्त करनी ही होगी। महात्माओं में वह व्यक्तिगत तत्व नहीं होता, अर्थात उनके आध्यात्मिक स्वरूप मे पसंदगी, नपसंदगी, पूर्वाग्रह, आशक्ति आदि नहीं होते।
भगवान बुद्ध ने शिक्षा दी थी कि- बिना कोई सीमा खड़े किए, संसार में सभी के लिए कल्याण के लिए ध्यान करो। हृदय के विशाल होने के साथ-साथ प्रेम, करुणा, जिसे ‘मैत्री’ भी कहते हैं, भी बढ़ती जाती है। बच्चों को इसकी शिक्षा दी जानी चाहिए। बुद्ध कहते हैं कि- कल्याण मित्रता ही सच्ची मित्रता है। हमें ऐसी मित्रता को बढ़ावा देना सीखाना है। यही करुणा है। उदार और प्रेममय भाव विकसित करना आध्यात्मिक जीवन में बहुत सहायक है। जो अधिक व्यापक है वह अधिक उच्च भी होता है। विश्वास रखिए कि मैत्री और प्रेम से औरों मे परिवर्तन लाया जा सकता है।
No comments:
Post a Comment